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Saint Gurmeet Ram Rahim Singh Ji Insan
» समय, समुंद्र की लहर और गुजरे हुए जिंदगी के पल कभी वापिस नही आया करते - पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
समय, समुंद्र की लहर और गुजरे हुए जिंदगी के पल कभी वापिस नही आया करते - पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
समय, समुंद्र की लहर और गुजरे हुए जिंदगी के पल कभी वापिस नही आया करते। इंसान संतुष्ट किसी भी समय में नही रहता, इस कलयुग में तो बिल्कुल भी नहीं। बच्चा है तो कहता है बड़ा क्यों नहीं हुआ, बड़ा हो गया तो मूछे क्यों नहीं आई? मूछे आई तो क्यूं आई? इस युग में संतुष्ट इंसान होता ही नहीं। उक्त उद् गार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित रूहानी सत्संग के दौरान कहे। सत्संग के दौरान पूज्य गुरुजी ने 6360 लोगों को गुरुमंत्र, नामशब्द प्रदार कर उन्हें बुराइयां त्यागने का संकल्प करवाया। श्रद्धालुओं को अपने पावन वचनों से लाभांवित करते हुए पूज्य गुरुजी ने कहा कि इंसान जितनी मांगे रखता है पूरी मालिक कर भी दे तो हजार मांगे और रख देता है। कई ऐसे भी होते हैं जो एक रहमत पाकर भी संतुष्ट होते हैं। इंसान इंसान में फर्क होता है। इंसान इंसान से मिलता है तो इच्छाएं होती है लेकिन जब भक्त, आशिक गुरु से मिलते हैं तो सभी इच्छाएं तबाह फनाह हो जाती है, बस एक ही इच्छा रह जाती है कि तूं ही मिले। ऐसे आशिक ना मरते हैं और ना मिटते हैं उनका नाम दो जहां में अमर हो जाता है।
पूज्य गुरुजी ने कहा कि इंसान जब तन , मन, धन से दुखी होता है तो परमात्मा शहद सा लगता है और जब तीनों चीजों से सुखी होता है तो मालिक घर के लगे दरवाजे जैसा लगता है। उन्होंने कहा कि कभी सुख में खो ना जाओ और कभी दुख में हद से ज्यादा रो ना जाओ। समय के साथ साथ जो बहता है वही फायदा उठाता है, जो छाती तानकर समय के सामने खड़ा रहता है वही बराबरी कर सकता है। समय बलवान घोड़ा है वो किसी को नहीं छोड़ता। पूज्य गुरुजी ने कहा कि इंसान तभी मालिक की खुशियों, दया-मेहर के लायक बन सकता है जब वह समय की भाषा को पहचान लेता है। समय की पहचान के लिए पूजनीय साईं मस्ताना जी महाराज ने ये सच्चा सौदा बनाया , यहां आओ समय में से समय निकालकर पूरी जिंदगी को बेशकीमती बना लो। पूज्य गुरुजी ने कहा कि सत्संग में संत समझाते रहते हैं , जिदंगी से रूबरू करवाते रहते हैं। संतों का काम परम पिता परमात्मा की औलाद के लिए काम करना होता है। सबके लिए भला मांगना और भला करना होता है। जो सुनते वहीं दुनियां का भला करते हैं तो मालिक भी उनका भला जरूर करता है। उन्होंने कहा कि जो अपने में खोया रहता है वो मालिक की रहमत से दूर होता चला जाता है। दुनियां के तामझाम में मालिक को मत भूलो। ईश्वर की भक्ति में लगो, मालिक का नाम जपो, इससे वो खुशियां मिलेेंगी , जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की होती। वो इतना देता है, जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं होता। वो अब छप्पड़ फाड़कर नहीं देता बल्कि लैंटर लगाकर देता है और देता ही जाता है। पूज्य गुरुजी ने कहा कि सेवा,सुमिरन , दया, रहम ये सेवादारों के गहनें हैं, इन्हें धारण करों। उन्होंने कहा कि अपना काम आप करो तो समय भी साथ देता है। पूज्य गुरुजी ने बताया कि अपने बच्चों को अच्छी आदतें डालें। उन्हें राम नाम के सुमिरन से जोडऩे के लिए उन्हें कहें कि अगर वे दस मिनट सुमिरन करेंगे तो उन्हें 20-50 रुपए देंगे। अगर आपके दो बच्चें हैं तो उन्हें सुमिरन के लिए कंपीटीशिन होगा, कि कौन ज्यादा करता है? और उन पैसों से बच्चे जब कोई चीज लेना चाहो तो वो दिला दो। सुमिरन होगा तो सारे घर में सुख शांति आएगी, रोगों से निजात मिलेगी और बच्चों का अपना बैंक बन जाएगा। पूज्य गुरुजी के इस आह्वान पर सत्संग पंडाल में उपस्थित साध संगत ने दोनों हाथ खड़े करके इसे अपनाने का प्रण लिया। पूज्य गुरुजी ने कहा कि समय के साथ दुनियां की हर चीज बदल सकती है लेकिन संत व भगवान कभी नहीं बदलते। ज्ञान की भाषा बदल सकती है लेकिन ज्ञान वही रहता है। कुनैन वहीं रहता है बस उस पर मसाला लगाना पड़ता है।
सत्संग के दौरान पूज्य गुरुजी ने साध संगत द्वारा रूहानियत संबंधित पूछे गए प्रश्नों के उतर देकर उनकी जिज्ञासाएं शांत की। इस अवसर पर सादगी पूर्ण ढंग से 6 शादियां भी हुई। पूज्य गुरुजी ने शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के भलाई फंड से 4 जरूरतमंदों को 6 लाख रुपए के चैक प्रदान किए। पूज्य गुरुजी ने आशियाना मुहिम के तहत साध संगत द्वारा 4 जरूरतमंदों को बनाकर दिए गए मकानों की चाबियां पात्रों को प्रदान की। उन्होंने साथी मुहिम के तहत दो लोगों को ट्राई साईकिलें भी प्रदान की।
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