तकलीफ , टेंशन या दुख बीमारीयां दूर हो सकती हैं , कम हो सकती हैं सिर्फ गुरु को याद करने से और सिमरण करने से

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जीवन में प्रेम प्यार और इन्सानियत को जगह दो न की गुस्सा , नफरत और गलत विचारों को... !!!

तकलीफ , टेंशन या दुख बीमारीयां दूर हो सकती हैं , कम हो सकती हैं सिर्फ गुरु को याद करने से और सिमरण करने से

जब जब कोई भी संत महात्मा गुरु सतगुरु हमें नाम की बक्षीश करते हैं तब तब हमें वार वार चेक किया जाता है. पूछा जाता है कि अाप नाम दान के लिये तैयार हो.? नाम सिमरन करोगे. और कई ऐसे सवाल किये जाते हैं ताकि हमें नाम दान के बाद पछतावा न हो. तकलीफ न हो. उस वक्त हम सब हां हां कहते हैं क्युंकि हमें गुरु की इच्छा है नाम दान की प्यास है. गुरु से मिलने की अास है. हमें नाम मिलता है गुरु की महरबानी से. हम खुद को भाग्यवान समझते हैं पर वापिस बाहर अाकर घर अाकर हम नाम सिमरन करते हैं..
कईयों का जवाब मिलता है..नहीं. हम सोचते हैं..कल से शुरुअात करेंगें. अब गुरु की अनमोल देन तो मिल चुकी
है. ये कल कल कहते कहते वक्त निकल जाता है पर हम नाम नहीं जपते. कहते हैं गुरु का नाम मिलने के बाद हमें पावन सदगुरु से पावर मिलता है, शक्ती मिलती है. उर्जा मिलती है जो नये नामदारी के लिये एक सुंदर सौगात है. ये भी कहा जाता है कि नया नामदारी अगर उसी दिन से सिमरन करना शुरु करे तो उसकी सुरत जल्दी चढ़ जाती है.. बस जरुरत है इच्छा की गुरु से मिलने की. जो लोग नाम दान लैकर चुप बैठ जाते हैं और कल कल कल जपेंगें कहते हैं उनका कल कभी नहीं अाता. शायद वे गुरु की महिमा से अंजान हैं या वे गुरु से मिलना नहीं चाहतै. कहते है नाम मिलना मतलब गुरु से अनमोल सौगात पाना और नाम लेकर न जपना मतलब गुरु की दी गयी सौगात की कदर न करना.. गुरु के पावर गुरु की शक्ती गुरु की उर्जा को व्यर्थ  करना. या इज्जत न देना. हम सब मामुली मनुष्य है भुगतते रहते हैं तकलीफें सहते रहते हैं परंतू हमारी तकलीफ या टेंशन या दुख. बीमारीयां दूर हो सकती हैं कम हो सकती हैं पर जरूरत है अपने पावन पवित्र गुरु को याद करना. नाम सिमरन करना. जिसने किया.उसने पाया जिसने सोचा.सिर्फ सोचा उसने अपना अनमोल जनम गंवाया.. हर रोज नाम सिमरन करें जब भी मन करे चलते चलते खाते पीते. सिर्फ दुख में नहीं सुख में भी. और अपने गुरु अपने सतगुरु को अापके सामने पायें समीप पायें. क्युंकि गुरु हमेशा नाम सिमरन करने वाले भक्तों के वश में होता है.

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